साहित्य में जादुई यथार्थवाद को परिभाषित करना
जादू यथार्थवाद एक साहित्यिक शैली है जिसमें जादू और फंतासी सह-अस्तित्व के तत्व वास्तविकता के साथ सहजता से होते हैं। यह इस तथ्य की विशेषता है कि जादुई और नडाल तत्वों को पात्रों और दुनिया के दैनिक जीवन में बुना जाता है, जिससे एक अद्भुत और रहस्यमय छवि बनती है।जादुई यथार्थवाद की मुख्य विशेषताएं हैं:
1. रोजमर्रा की जिंदगी में जादू को एकीकृत करना: इस शैली के कार्यों में, जादुई घटनाओं और घटनाओं को कुछ असाधारण या विसंगतिपूर्ण नहीं माना जाता है, लेकिन रोजमर्रा की वास्तविकता का हिस्सा हैं।
2. पौराणिक तत्वों की स्वायत्तता: जादुई घटनाओं और घटनाओं को स्पष्टीकरण या वैज्ञानिक आधार की आवश्यकता नहीं है। वे अपने दम पर मौजूद हैं और तर्क या भौतिकी के नियमों का पालन नहीं करते हैं।
3. Allegorical: जादुई यथार्थवाद का उपयोग अक्सर सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को चित्रित करने के लिए कि जादुई तत्व वास्तविक घटनाओं और घटनाओं के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के रूप में काम कर सकते हैं।
4. कई दृष्टिकोण: अक्सर, जादुई यथार्थवाद विभिन्न दृष्टिकोणों और दृष्टिकोणों का उपयोग करता है, जिससे एक ही घटनाओं को विभिन्न कोणों से दिखाया जा सकता है, उनके अर्थ और अर्थ का विस्तार किया जा सकता है।
जादुई यथार्थवाद साहित्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे लेखकों और पाठकों को असामान्य विचारों, कल्पनाओं और मिथकों का पता लगाने के साथ-साथ मानव चेतना और अवचेतन की गहराई में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है। यह अद्वितीय और अद्भुत दुनिया बनाता है जो हमें वास्तविकता और कल्पना की प्रकृति पर प्रतिबिंबित करता है।
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