समकालीन साहित्य और संस्कृति पर अभिव्यक्तिवाद का प्रभाव
20 वीं शताब्दी की शुरुआत में अपने समय की सामाजिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल की प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न हुई अभिव्यक्तिवाद ने आधुनिक साहित्य और संस्कृति पर एक गहरी छाप छोड़ी। उनका प्रभाव समकालीन लेखकों, कलाकारों, निर्देशकों और संगीतकारों के काम में महसूस किया जाता है जो उनकी अभिव्यक्ति, भावनात्मकता और अमूर्तता को विरासत में लेते हैं।आधुनिक साहित्य अक्सर जटिल भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए विषयों, प्रतीकवाद और अभिव्यक्तिवादी तकनीकों की ओर मुड़ ता है। लेखक पाठकों को सोचने और आत्म-ज्ञान के लिए उकसाने के लिए ज्वलंत छवियों, रूपक और कथानक का उपयोग करते हैं। अभिव्यक्तिवादी भावना उनके लेखन में जीवित है, जो गहरी आंतरिक दुनिया और सामाजिक मुद्दों का पता लगाने के लिए एक स्थान बनाती है।
अभिव्यक्तिवाद का प्रभाव पेंटिंग, सिनेमा, थिएटर और संगीत सहित संस्कृति के अन्य क्षेत्रों तक भी फैला हुआ है। कलाकार और निर्देशक अक्सर प्रभावशाली कल्पना और वायुमंडलीय दृश्यों के लिए अभिव्यक्तिवादी तकनीकों की ओर रुख करते संगीतकार भावनात्मक अवस्थाओं और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए असंगति और लयबद्ध जटिलता का उपयोग करते हैं।
समकालीन साहित्य और संस्कृति पर अभिव्यक्तिवाद के प्रभाव का पता लगाएं और गहन भावना, प्रतीकात्मक कल्पना और दार्शनिक प्रतिबिंब की दुनिया में खुद को विसर्जित करें। शैली प्रासंगिक और प्रेरणादायक बनी हुई है और खुद को और हमारे आसपास की दुनिया को समझने के लिए नए दृष्टिकोण प्र
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